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________________ [ ३० ] राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर के संग्रह में राजस्थानी गद्य रामायण की सचित्र प्रति है। (१३) मानव मित्र रामचरित्र- इसके लेखक स्व० महाराज साहब चतुरसिहजी है। भाषा मेवाडी है। इसकी द्वितीय आवृति मनोहरलाल शर्मा संस्कृत ग्रन्थागार चांद पोल, उदयपुर से २०३ पृष्ठों में प्रकाशित हुई है। पृष्ठ १६१ तक ( विजय तक ) का वृतान्त चतुरसिंहजी ने वाल्मीकि रामायण, योग वशिष्ठ, तुलसी रामायण और महावीर चतुर के आधार से उपन्यास की भांति लिखा है। उत्तर का चरित्र श्री गिरधरलाल शास्त्री ने लिखकर ग्रन्थ को पूर्णता दी है। (१४) बाल रामायण-सुप्रसिद्ध व्रजलालजी वियानी ने विद्यार्थी अवस्था में इसे लिखा, यह छप भी चुका है। इस प्रकार जैन और जैनेतर राजस्थानी रामचरित्र अन्थो का परिचय यहाँ दिया गया है। इससे स्पष्ट है कि जैन विद्वानों की रचनाएँ ज्यादा है और १६वीं शताब्दी से गद्य और पद्य मे मिलने लगती है। जैनेतर रचनाओं का प्रारम्भ १७वीं के उत्तरार्द्ध से होता है, जो २०वीं तक निरन्तर चलता रहता है। राजस्थान में हिन्दी भाषा का प्रचार भी १७वीं शताब्दी से प्रारम्भ हो गया और १८वीं से सैकड़ों ग्रन्थ रचे गये अतः हिन्दीभाषा के रामचरित्र ग्रन्थों की संख्या भी अच्छी होनी चाहिये। भक्त एवं सन्त कवियों ने भी कई रामचरित्र हिन्दी मे लिखें हैं इनमें से सन्त कवि जगन्नाथ रचित रामकथाका परिचय में प्रकाशित कर चुका हूँ। यों नरहरिदास के अवतार चरित्र मे श्री रामचरित्र मिलता हैं।
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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