SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 435
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २७६ ) ए गुरूनइ सुपसाउलई, ए चउपई चडी प्रमाणो रे । भणतां सुणता वाचतां, हुयइ आणंद कोडि कल्याणो रे ।।२७|| सी० सर्वगाथा ॥३५५|| इति श्री सीताराम प्रवधे सीतादिव्यकरण १ सीतादीक्षा २ लक्ष्मणमरण ३ रामनिर्वाण ४ लखमण रावण सीतागामिभवपृच्छा वर्णनोनाम नवमः खण्डः समाप्त. प्रथम खंडे ढाल ७ गा० १४६ द्वितीय खंडे ढाल ७ गा० १६२ तृतीय खंडे ढाल ७ गा० १६८ चतुर्थ खंडे ढाल ७ गा० २२८ पंचम खंडे ढाल ७ गा० २४८ षष्ठ खंडे ढाल ७ गा० ४४४ सप्तम खंडे ढाल ७ गा० ३१२ अष्टम खडे डाल ७ गा० ३२३ नवम खंडे ढाल ७ गा० ३५५ सर्वढाल ६३ सर्वगाथा ॥२४१७॥ ग्रन्थ संख्या ३७०४ [कवि के स्वय लिखित पत्र १११ की प्रति ( अनूप सं० लाइब्रेरी ) से मिलान किया।] ॥ इति सीताराम चउपई सपूर्णाजज्ञे ।। प्रति लेखनप्रशस्ति :-सवत् १७३८ वर्षे कार्तिक मासे शुक्ले पक्षे २ तिथी बुधवासरे श्री कान्हासर मध्ये मट्टारक श्री जिनचदसूरि विजयमानराज्ये । श्री सागरचदसूरि सतानीय वा० श्री सुखनिधान गणि तच्छिष्य प० श्री श्री श्री १०८ गुणसेनगणिगजेन्द्राणामन्तेवासी प० यशोलाभ गणिनालेखि । वाच्यमान चिरनद्यात् भद्र भूयात् । तैलाद्रक्षे जलाद्रक्षेलक्षे शिथिल वधनात् । परहस्तगता रक्षेदेव वदति पुस्तिका ||१|| श्री पार्श्वनाथ प्रसादात् श्री जिनकुशलसूरि प्रसादाच्छ्योस्तु
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy