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________________ ( २३३ ) वइसी दिव्य विमान । व० पहुती हो । प० सीता तिण नगरी वली हो ||२६|| आठमा खंडनी एह । आ० छठ्ठी हो । छ० ढाल रसाल पूरी थई हो || समयसुंदर कहइ एम । स० चिंता हो । चि० आरति सहु दूरई गई हो ||३०|| सर्वगाथा ||३०२|| दहा ६ हिव श्री राम सुपुत्रनो, मेलापक सुख खाणि । लखमण सुं हरखित थया, बजडाया नीसांण ॥१॥ रलीरंग वद्धावणा, वागा नंदी तूर | दल वेड भेलाथया, प्रगट्या आणंद पूर ॥ २ ॥ राम भामंडल वे कहइ, वज्रजंघनइ एम | तु बांधव तु मित्र तु, तूं वाल्हेसर प्रेम ॥ ३ ॥ ए तं कुमर उठेरिया, मोटा कीधा आम । अम्हनर आंणी मेलीया, सीधा वंछित काम ॥ ४ ॥ सहजइ पणि होवइ सुहृद, चंद सूर जिम के | अंधकार दूरइ हरइ, जग उद्योत करेइ ॥ ५ ॥ महोच्छव मोटो माडियो, नगर अयोध्या मांहि । कुश लव कुमर पधारिया, गीतगान गहगांहि ॥ ६ ॥ सर्वगाथा ॥ ३०८ ॥
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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