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________________ ( २२७ ) दहा ७ एहवइ केसरि रथचड्या, रामचंद रण सूर । गरुड रथई लखमण चड्या, वाजंते रणतूर ।।१।। विद्याधर वलि वन्हिसिख१, वालिखिल्ल२ वरदत्त३ । सीहोदर४ सीह विक्रमी, कुलिस६ श्रवण हरदत्त८ ॥२॥ सूरभद्रह विद्रुम१० प्रमुख, पाच सहस झूमार। सुभट मुगटमणि अति सवल, निज-निज रथ परिवार ।।३।। पांच सहस ते सुभट सुं लखमण नई श्रीराम । नगरी वाहिर नीसस्या, मेघ घटा जिम स्याम ||४|| ते दल देखी आवतो, लवणाकुस पणि वेउ । सूरवीर साम्हा थया, सुभट नई साथ लेउ ।।शा अंग१ कलंगर जलंधरी३, सिंहल नई४ नेपाल५ । पारस मागध७ पाणिपथ८, बबरदेसह भूपाल || इत्यादिक अति सुभट नर, साथ सहस इग्यार। अणिए अणि आवी मिला, जुद्ध कर झूमार ||७|| सर्वगाथा ॥२७॥ ढाल ६ ॥राग खंभाइती॥ . "सूबरा तुं सुलताण, वीजा हो। वीजा हो थारा सूबरा ओलगू हो." ___ए गीत नी ढाल, जोधपुर, नागोर, मेडता, नगरे प्रसिद्ध छइ। - लागो सवल संग्राम, वेदल हो, वेदल झूझइ नगरी वाहिरई हो ॥ वहइ गोला नालि तीरे हो तीरे हो, वरसइ मेह तणो परइ हो। १॥
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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