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________________ [ २४ ] गुम्फन किया है। कवि की अन्य रचनाएं संवत् १७४६-८६ की प्राप्त होने से इसका रचनाकाल १८वीं शताब्दी निश्चित है। १६-सीताहरण चौढालिया-तपागच्छीय दौलतकीर्ति ने ४६ पद्यों व ४ ढाल में सीता हरण के प्रसंग का वर्णन किया है। रचना बीकानेर मे संवत् १७८४ में बनाई गई है। इसकी दो पत्रों की प्रति हमारे संग्रह मे है। १७-रामचन्द्र आख्यान-इसमे धर्मविजय ने ५५ छप्पय कवित्तो में रामकथा संक्षेप मे वर्णन की है। इसकी पाँच पत्रों की प्रति (१६वीं शताब्दी के प्रारम्भ की लिखित ) मोतीचन्दजी खजांची के संग्रह में है, अतः रचना १८वीं शताब्दी की होना सम्भव है। ब्र० जिनदास के रामचरित को छोड़ कर उपयुक्त सभी रचनाएं श्वेताम्बर विद्वानों की है, दिगम्बर रचनाओं मे संवत् १७१३ में रचित । १८-सीता चरित्र हिन्दी में है जो कवि रायचन्द के रचित है। उसकी १४४ पत्रों की प्रति आमेर भण्डार मे है । गोविन्द पुस्तकालय, बीकानेर में भी इसकी एक प्रति प्राप्त है। १६-सीताहरण-दि० जयसागर ने सं० १७३२ मे गंधार नगर में इसकी रचना की भापा गुजराती मिश्रित राजस्थानी है। उसकी ११४ पत्रों की प्रति उपयुक्न आमेर भण्डार में है। १६वीं शताब्दी २०-ढाल मंजरी-राम रास-तपागच्छीय सुज्ञानसागर कवि ने संवत १८२२ मिगसर सुदी १२ रविवार को इसकी उदयपुर में रचना की। भापा मे हिन्दी का प्रभाव भी है। चरित्र काफी विस्तार से
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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