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________________ ( १४७ ) कुहक वांण छूटइ नालि गोला, बिंदूक वहइ बिहुँ पासे। रीठ पडइ मोगर खडगांरी, अगनि ऊडइ आकासे ॥ १४ ॥ हो० साम्हे घाए झूझइ सूरा, धड विण राणी जाया। दल रांवण रउ भाजत देखी, हत्थ विहत्थ भड धाया ॥ १५॥ हो तिण बानर नो कटक धकाया, पाछा पग दिवराया। तितरइ राम तणां हलकास्या, नील अनइ नल धाया ।। १६ ।। हो० हत्थ विहत्य हथियारे मास्या, राक्षस बल मचकोड्यो। राति पडी आथमियो सुरिज, वे दल विढवो छोड्यो ॥ १७ ॥ हो० वीजइ दिन वलि रण झूझता, बानर सेना भागी। हाक मारि नइ हनुमत ऊठ्यो, सबल सुरिमा जागी ॥१८॥ हो० पवनपुत्र आवउ पेखी, कहइं राक्षस कोपंता। काल कृतांत जिसो ए कोप्यो, आज करइ अम्ह अंता ।।१६।। हो. साम्हो थई मुंकइ सर' धोरणि, सुभट सिरोमणि माली। हनुमंत वाण क्षुरप्र संघातई, बाढ़ी नाखई विचाली ।।२०।। हो० वजोदर राजा बहि आयो, हनुमंत सन्नाह भेद्यो । काढ़ि खडग कोपातुर हनुमंति, वजोदर सिर छेद्यो ॥२१॥ हो० रावण सुत जंबुमालि प्रमुख नई, हणइं हनुमंत वलि हेल। हाथ त्रिसूल लेई नइ धायो, कुभकरण तिण वेलई ॥२२॥ हो० कुंभकरण आवतो देखी, चंदरस मि चंद्राभा। रतनजटी भामंडल धाया, जिम भाद्रव ना आभा ॥२३॥ हो० १-बदृका छूटइ चिहु पासि २--रण
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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