SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १४५ ) समझावी सहु कामिनी, सुभट चल्या सहु कोइ । वली रावण ना कटक मइ, कुण-कुण भेलो होइ ।। २७॥ साढी च्यार कुमारनी, कोडि सुं रावण पुत्र । मेघनाद नई इन्द्रजित, गजारुढ़ गया तत्र ।। २८॥ चडि विमान जोतीप्रभइ, ले त्रिसूल निज हाथि । कुंभकरण राजा चल्यो, सुभट तणो ले साथि ।। २६ ।। राणउ रावण चालियो, वइसी पुष्प विमान । पृथिवी नभ आपूरतउ, बाजते नीसाण ॥३०॥ भूकपादिक चालता, हुया महा उतपात । रांवण ते मान्या नहीं, भावी न मिटइ बात ।। ३१ ।। सर्वगाथा ||२५०॥ ढाल ४ । राग सोरठ जाति जांगड़ानी ॥ हो संग्राम राम नइ रावण मंडाणा, जलनिधि जल ऊछलिया। इंद्र तणा आसण खलभलिया, शेषनाग सलसलिया ॥ १ हो सं०॥ प्रवल वेउं दल दीसई पूरा, अणिए अणिए मिलिया। सूरवीर उंचा ऊछलिया, हाक बुंव हूंकलिया ॥२ हो सं०॥ समुद्रवेलि सारिषउ राक्षस बल, दीठउ साम्हर आयो। रांम तणउ पणि वानर नठ दल, त्रूटिनइ साम्हो धायो॥ ३ हो संगा कुण कुण राम कटक नई बानर, नाम सुणउ कहुँ केता। जयमित्र १ हरिमित्र २ सवल ३ महावल ४, रथवर्द्धन ५ रथनेता ६ ॥ १०
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy