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________________ ( १२५ ) दूत मुंकी करी तेहन प्रारथो, तेह रावण भणी सीख देस्य। राम कहई इहाँ कुंण एहवो दूत छ, जेह इण काम सोभाग लेस्य॥ एह खेचर माहे को नही एहवो, जे लंका जाइनई काम सारई। जेण दुरगम विषम लंकगढ पइसता, दैत्य देखइ तुता झालि मारई ।। पणि अछई पवननो पुत्र एक एहवो, नाम हनुमंत एहवो कहीजई। ते सापुरसनई देव उहा तेडिया, तेहनी बात सहुको पत्तीजइ ।।३।। बात ए चित्त मानी सहू को तणई, मुंकियो दूत सिरभूति नामा। जाइ हनुमंतनइ बात सगली कहई, लखमणाकुमर सु थया संग्रामा ।। खरदूपण संवुक मास्या सुणी, अनंगकुसुमा हनुमत नारी । वाप वाधव तणो दुक्ख लागो सवल, रोण लागी घणु वारवारी ॥३३॥ सर्व अंतेउरी सहित मंत्री मिली, दुक्ख करती थकी तेह राखी। प्रोतिकर भूतिकर पूछियो दूतनई, ते कह बात सहु सत्यभाखी ॥३४ मारि मायावि सुग्रीवन रामचंद, नारि तारा मुँकावी महातई। हिव श्री सुम्रोव उपगार करिवा भणी, सीत मुंकाविवा करई एकातइ । सुता सुग्रीवनी नारि हनुमतनो, नाम कमला घणु दूत मानइं। रामगुणि रजियो गयो किंकिंधपुरि, वेगि हनुमंत वइसी विमानई। कीयो परणाम सुग्रीवनई जाइकरि, तेण श्री रामनई पासि आण्यो । आवतो देखिन राम ऊभाथया, आपणो काम मीठो पिछाण्यो ॥३७ देइ आदर घणो राम साईए मिल्या, कुसल खेम पूछिनई हरष पाम्यो। लखमण कुमर सनमान दीधो घणो, हनमंत रामनईसीस नाम्यो ।। भणई हनुमंत श्रीरामन तुम्हतणा, गुण सुण्या चंद्रकिरणा सरोखा। जनक धनुप चाढियो प्रगट पछाडियो, कपट सुग्रीव कीधी परीखा ॥ १ जेहनउ
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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