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________________ ( ७७ ) किण को परवत पासि, रुड महा निसि, सुणियइ शवद वीहामणउए मतको करइं विणास, आवि अम्हारडउ, मरणतणउ भय अति घणउए। कहइ सीता सुणि नाह, आपे पिणि हिवई, इहाँ सुनासां तउ भलउए । राम कहइ मतबीहि, नासइ नहिं कदे, उत्तम नर मांडइकिलउए ||४|| सीतानउ अहि हाथ,राम उच्यो चड्यउ, लखमण नई आगइ कीयो ए। गिरिऊपरिगया तेथि, दीठा साधवी, देखत हिंयड हरखीयलए ॥५॥ कठिन क्रिया तप जप, करइ आतापना, चरम ध्यान तत्पर थकाए । तिण्हि प्रदक्षिण देइ, रामसीता सहू, वांदइ साधनइ उछकाए ॥६॥ उरग भुयगम भीम, गोणस अजगर, साधु बीठ्यउ सोपकरी ए। धनुष अग्र सुं राम, छेडि दूरइं कीया, देह उघाड़ी साधरीए ।॥ ७ ॥ फासू पाणी सेति, चरण पखालिया, सीता कीधी चंदनाए। रामइ वाई वीण मधुर सुरई करी, मुनिगण गाया इकमनाए ॥ ८॥ सीता करि शृंगार, सारंगलोयणा, साधु भगति नाटक करइए। पूरव वयर विशेखि, कोई सुर निसिभर, उपसर्ग करइंतिण अवसरइए है। अगनि सीरीषा केस, आखि विली जिसी, निपट नासिका चीपडीए। काती सरिखी दाढ, अति बीहामिणी, भाल उपरिभृकुटी चडीए ॥१०॥ काती नइ करवाल, करि झाली करी, नाचई कूदई आंफलइए। काया मनुष्यनी काटि मांस, खायमुखि, हसइ घणुंनइ हूकलइए ।११। मुकई अंगिनी झाल, खांउ खाउ खांउ करइ, भूतप्रेत अंवर तलईए। क्रूरमहा विकराल, भीम भयकर काल, कृतांत रीसई बलइए ॥ १२ ॥ सीता देखी भूत, वीहती रामनइ, आलिंगन देई रहीए। रामकहइ मत वीहि, कर साहस प्रिया,रहिमुनिवर ना पाय ग्रहीए ।।१३।।
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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