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________________ समी सांझ कोधो आलोच, सीता कहइ मुझ ऊपनि सोच । अतिवीरिज सांभलियइ सवल, भरत जद्धकिम करिस्यइ निवल ॥१७॥ भरत कदाचित जउ हारिस्यइ, तर तुम्हनइ मेहणउ लागिस्यइ । लखमण कहई चिंता मत करइ, जयहोस्यइ परमेसर करइ ॥१८॥ राम कहइ सूरिज प्रकटइ, काल विलंब न करिवउ घटई। कोइक करिवउ सही उपाय, राति गई इण अध्यवसाय ॥१९॥ प्रहऊठी जिन मंदिर गया, देवजुहारी नि.पापथया ।। पूजा कीधी भलइ प्रकार, सफल थयउ मानव अवतार ॥२०॥ अधिष्टायक देवी गण पालि, रामनइ प्रगट थई ततकाल । कहइ तुम्हे चिंता म करउ काई, अतिवीरिज पाडिसि तुम्ह पाइ ॥२१| चज्था खंडनी चउथी ढाल, राम अजी वनवास बिचाल ।। समयसुंदर कहइ जउ हुइ पुण्य, तु ते वसती थाई अरण्य ॥२२॥ [ सर्वगाथा ६४] दूहा ४ देवी सहु सुभटां तणठ, कीघउ नटुई रूप । देवी हुकमइ राम ते, ले चाल्यउ जिहां भूप ॥१॥ राज सभा सवली जुड़ी, विचि बइठउ राजान । राम जाई ऊभा रह्या, प्रच्छन रूप प्रधान ||२|| नदुई पणि उभी रही, राजा आगलि तेह । अतिवीरिज आदर दीयो, दीठी सुंदर देह ।।३।। राम रूप नायक कह्यउ, जउ करइ राजि हुकम्म ।। तउ नटुई नाटक करई, भाजइ सहू भरम्म ||४|| [ सर्वगाथा ४]
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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