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________________ ( ५४ ) ॥ चाल ॥ लखमण छूटी चालि निवारया, मुठि भुजादंड केई मास्या । मारत २ केई नाठा, कंईक मुख लीधा त्रिण काठा ||८|| सीह आगलि जिम मिरगला, रवि आगलि नक्षत्र । गज गंधहस्ती आगलि, त्रासि गया यत्र-तत्र । ॥ चाल ॥ त्रासि गया यत्र-तत्र कटक भट, कुप्या सीहोदर वल उत्कट | गज आरूढ़ थिकु धसि आयउ, चतुरंग वल पणि चिहुं दिस धाउ || लखमणनइ वींटी लीयउ, मेघघटा जिमसूर । आलान थंभ उथेडिनई, कटक कायउ चकचूर ॥ ॥ चाल ॥ कटक कीयउ चकचूर हजूरी, वज्रजंघ देखे राउ दूरि । ऐ ऐ देखउ अतुल पराक्रम, एकलइ कटक भाज्यउ इणि नर किम ||१०|| एनर सुर के असुर के विद्याधर कोइ, तेहवइ लखमण पाडीयड सीहोदर पणिसोइ । ॥ चाल ॥ सीहोदर पणि नीचठ पाड्यउ, पाछे वाही बाधी पछाड्यउ । आण्यउ राम समीप सीहोदर, राम कहर सावासि सहोदर ||११|| सहोदर अंतेरी, करs विलापनी कोडि | पूठइ आवी इम कहइ, देवदयापर छोडि ||
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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