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________________ [ ७ ] 'वज्रजघ राजा घरे, रहती सीता नारि गर्भ लिंग परगट थयो, पाडुर गाल प्रकारि थणमुख श्यामपणो थयो, गुरु नितंब गति मद नयन सनेहाला थया, मुखि अमृत रसविंद ।, लंका में राम के विरह में राक्षसो से घिरी सीता की अवस्था में कितनी दयनीयता है 'जेहवी कमलनी हिम वली, तेहवी तनु बिछाय आँखे आँसू नाखती, धरती दृष्टी लगाय केस पास छूटइ थकई, डावइ गाल दे हाथ । नीसासा मुख नाखती, दीठी दुख भर साथ।' वियोग की दसों दशाओं का चित्रण हमे ग्रन्थ में मिलता है निर्वासित सीता के गुणों का स्मरण कर राम विलाप करने लग जाते हैं"प्रिय भाषिणी, प्रीतम अनुरागिनी सधउ घणु सुविनीत नाटक गीत विनोद सह मुक तुझ विण नावइ चीत सयने रम्भा विलास गृह काम-काज । दासी माता अविहड़ नेह मंत्रिवी बुद्धि निधान धरित्री क्षमा निधान ___ सकल कला गुण नेह ऐसी निर्दोपिता होते हुए भी बनवास दे देने के कृत्य पर राम को आत्म ग्लानि हो उठती है
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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