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________________ ( ४८ ) सीहोदर राजा सुणी रूठउ, कालकृतात जिमि' ते जूठर ||१५|| घ० दसपुर नगर नठ देश उतारू, बजजंच राजानई मारूं। १६ १० वाजा चढत तणा वजडाया, वागिया सर्व दिसोदिस धाया ॥१७॥ ध० गयगुडीया घोडा पाखरिया, नालि गोला सेती रथ भरिया ॥१८॥ ध० मुझ प्रणमई नहि ते बोल साल्यउ, राजा कटक करीनई चाल्यउ॥१६॥ दसपुर नगर भणीते आवई, तेहवइ एक पुरुष तिहां जावई ॥२०॥ ३० वजूदत्तनः पाये लागी, कहइ एक बात सांभलि सोभागी ॥२शा ध० राय भणईकुणतुं वात केही, पुरुष कहईकुण तूं सुणि कहुँ जेही ।।२२।। कुंडलपुर नगरी नउ हुँ वासी, धुरथी सकल कला अभ्यासी ॥२३।। ध० मात-पिता मुझ स्धा श्रावक, हुँ तेहनड पुत्र पुण्य प्रभावक ||२४|| ध० विजउ नाम जोबन मदमातउ, पणि वीतराग ने वचने रातउ॥२५॥ ध० व्यापार हेति उजेनी आयर, तिहाँ मइ द्रव्य पण उपायउ॥२६॥ ध० त्रीजा खंडनी ढाल ए वीजी, समयसुंदर कहइ सुणिकरउजी जी ॥२| सर्वगाथा ५६ दूहा ११ इकदिन मुझ दृष्टई पडी, केलिगरभ सुकुमाल। चंदवदनी मृगलोयणी, तिलक विराजत भाल ॥१॥ रूपइ रंभा सारखी, मदमाती असराल । अनंगलता वेश्या इसी, हूँ चूकल ततकाल ॥२॥ कुण-कुण नर चूका नहीं, श्रावक नई अणगार । अंत लेतां ए वात नउ, न पड़ई समझि लिगार ॥३॥ १-जिस्य
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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