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________________ ( २० ) वीस दिवस नी अवधि बदी छइ जउ राम धनुष चढावइ । तउ सीता परणइ नहितरि तउ विद्याधर ले जावइ-॥१०॥ सीता कहइ म करउ को चिता वर ते रामज होस्यइ ।। छट्ठी रात लिख्यउ ते न मिटइ माम विद्याधर खोस्यइ ।। गाम बाहिर धरती समरावी धनुषमंडप तिहां मंड्यउ ।। दसरथ तुरत तेडायउ आयउ निज अभिमान न छड्यउ ।।११।। लखमरण राम भरत सत्रूघन सहु साथि परिवार । मेघप्रभ हरिवाहन वीजा राजां नउ नहि पार ॥ आगति स्वागति घणुसतोख्या बइठा मडप पासे ।। खलक लोक मिली नइ आया देखरण तेथि तमासे ।।१२।। तिरण अवसरि आवी तिहां सीता कीधा सोल सिंगार । सुदर रूपइ सातमय कन्या तेह ताउ परिवार ।। धावि मात कहइ सुरिण हो पुत्री ए वइठा राजान'। ए लखमरण ए राम भरत ए सघन बहुमान ॥१३।। ए मेघप्रभु ए हरिवाहन ए चित्तरथ भूपाल ।' तुझ कारणि ए मिल्या विद्याधर जिण मांड्यउ जंजाल | मत्री बोल्यउ सकति हुयइ ते एह धनुप नइ चाडउ । सीता परणउ नहितरि इहा थी भीडासहू को छांडउ ॥१४॥ अभिमानी राजा के घ्या धनुष चढ़ावा लागा। बलती आगि नी झाला ऊठी ते देखी नइ भागा॥ अति घोर भुजंगम अट्टहास पिशाच उपद्रव होई। रे रे रहउ हुँसियार पानइ कूड मांड्यउ छइ कोई ॥१५॥
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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