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________________ जोवन वय सीता तराउ, देखी जनक नरेस । भरणइ सुमति मुहता भणी, देखउ देस प्रदेश ॥१॥ कोइ वर सीता सारिखउ, रूप कला गुण जाण । हुइ तउ कोजइ नातरउ, पच्छइ भाग प्रमाण ॥२॥ कर जोडी मुहतउ कहइ, वर जोयउ छइ वग्ग । सखर सोना नी मुद्रड़ी, ऊपरि जारणे नग्ग ॥३॥ [सर्वगाथा १०८] ६ ढाल छट्ठी ॥राग गउडी जाति-जकडी नी विसेषालो ।। नगरी अयोध्या इहा थो दूकड़ी कहाई बे॥ रिषभ ना राजकाजि धनदइ नीपाई बे ।। धनदइ नीपाई नगरी साइ दसरथ नाम छइ भूप नउ ।। पुत्र पदम नामइ नारि अपराजिता नी कुखि उपनउ । अति सूरवीर महा पराक्रमी, दान गुण करि दीपतउ ॥ अति रूपवत महा सोभागी, शत्रु ना दल जीपतउ ।।१।। जेह नइ लहुहडु भाई लखमण कहीजइ वे। सुमित्रा राणी नउ बेटउ बलवत सुखी जइबे ॥ बलवत सुणियइ मात दीठा सुपन आठ मनोहरू ॥ आठमउ ए वासुदेव उत्तम चक्रादिक लक्षण धरू । अत्यत वल्लभ रामचद्र नइ वे वाधव बीजा वलो। केकेई ना सुत भरत सघन बेऊ अति महावली ॥२॥
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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