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________________ [ ग ] उस तरह अपनी चिरकालीन इच्छा को फलवती होते देखकर हमें वड़ो प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। राजस्थानी शब्दकोष के निर्माण एवं प्रकाशन का प्रयत्न कई स्थानों मे काफी वर्षों से हो रहा है पर उसमे राजस्थानी जैन रचनाओं के शब्दो का उपयोग जहाँ तक नहीं होगा, वहाँ तक वह कार्य अधूरा ही रहेगा इसलिए ऐसे ग्रन्थों का प्रकाशन बहुत ही आवश्यक है। नेतर राजस्थानी राम काव्यो मे चारण कवि माधोदास का राम रासो विशेष महत्व का है। उसे भी इन्स्टीट्य ट से प्रकाशित करने की योजना थी और डॉ० गोवर्द्धन शर्मा को उसके सम्पादन का काम भी साप दिया गया था पर वह समय पर पूरा नहीं हो सका इसलिए उसे प्रकाशित नहीं किया जा सका है। अगली योजना मे इन्स्टीट्य ट को सरकार से प्रकाशन सहायता मिली तो उसे भी पाठकों की सेवा मे प्रस्तुत किया जायगा। प्रस्तुत ग्रंथ सम्पादन में जिन संग्रहालयों की प्रतियों का व जिन विद्वानो के लेखों का उपयोग किया गया है उनके प्रति आभार प्रदर्शित करना हमारा कर्तव्य समझते हैं। अगरचन्द नाहटा भवरलाल नाहटा
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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