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________________ [ ४ ] के पश्चात् आपका कोई सम्वाद न मिलने से भरत और माताओं को अपार चिन्ता हो रही है। अयोध्या के समाचारों से राम लक्ष्मण ने नारद मुनि का आभार मानते हुए उन्हें सत्कार-पूर्वक विदा किया। नदनन्तर राम ने विभीषण से अयोध्या जाने के लिए पूछा तो विभीषण ने सोलह दिन और ठहरने की प्रार्थना की। भरत के पास दूत भेजकर कुशल समाचार कहलाया। भरत दूत को माता के पास ले गया, माता ने कुशल समाचार सुनकर दूत को वस्त्राभरणो से सत्कृत किया। अयोध्या नगर मे राम लक्ष्मणादि के स्वागत की जोरदार तैयारियां होने लगी। अयोध्याका स्वागत आयोजन और राम का प्रवेश विभीषण के आग्रह से १६ दिन और लंका में रह कर राम, लक्ष्मण, सीता और विशल्यादि सारा परिवार पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या आया। मार्ग में रामचन्द्रजी ने हाथ के इशारे से अपने प्रवास स्थानों को घटनाचक्र सहित बतलाये। अयोध्या पहुंचने पर चतुरंगिणी सेना के साथ भरत स्वागत करने के लिए सामने आये। नाना प्रकार के वाजिन ध्वनि व मानव-मेदिनी के जय-जयकार युक्त वातावरण में अयोध्या मे राम, लक्ष्मण सपरिवार प्रविष्ट हुए। अयोध्या की वीथिकाएँ सुगन्धित जल से छींटी गई। गृह द्वार केशर से लींपे गये, पंचवर्ण के पुष्प वरषाये गये। मुक्ताओ से चौक पूरा कर तोरण वाधे गए। ध्वजा-पाताकाएँ और रत्नमालाएँ लटकाई -गई। जिनालयों मे सतरह प्रकारी पूजा व महोत्सव प्रारम्भ हुए। विभीषण की आज्ञा से विद्याधरों ने मणिरत्नादि की वृष्टि की । स्थान
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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