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________________ [ ३८ ] के पुत्र न होकर अधमशिरोमणि वानर हो, जो भूचर के दूत बने । हनुमान ने उसे कहा - अथम और पापी तुम हो, उत्तम पुरुष परनारी सहोदर होते हैं । तुम्हारे में रत्नाश्रव के पुत्र होने के लक्षण नहीं, पर कुलागार हो । रावण ने उसे साकलों से बाँध कर सारे नगर में घुमाने का आदेश दिया । हनुमान ने क्षण मात्र में बन्धन मुक्त होकर सहस्त्र स्तम्भों वाले भुवन को धाराशायी कर दिया और आकाश मार्ग से उड़ कर aिfoकन्धा नगर जा पहुँचा। सीता की पुष्पांजलि और स्नेहपूर्ण आशीर्वाद हनुमान का संवल था । सुग्रीव उसे बड़े आदर के साथ राम के पास ले गया । हनुमान ने चूड़ामणि सौंपते सीता के संदेश और मार्ग के सारे वृतान्त सुनाये । हुए लंका पर आक्रमण आयोजन राम को यह बात अधिक खटकती थी कि उसकी प्रिया शत्रु के यहाँ है। लक्ष्मण ने सुग्रीवादि सुभटों को बुला कर शीघ्र लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया । वे लोग भामण्डल की प्रतीक्षा में थे । समुद्र पार कैसे किया जाय यह भी समस्या थी । किसी ने रावण के कोप की शंका की तो चन्द्ररस्मि ने कहा- हमारे पास पर्याप्त सेना है, भय का कोई कारण नहीं । राम की सेना में घनरति, सिंहनाद, घृतवरह, प्रल्हाद, सुक्र, भीमकूट, असनिवेग, नल, नील, अंगद, वज्रवदन, मन्दरमाल, चन्द्रज्योति, सिंहरथ, वज्रदत्त, लागूल, दिनकर सोमदत्त, जुकीत्ति, उल्कापात, सुग्रीव, हनुमान, प्रभामण्डल, पवनगति, इन्द्रकेतु, प्रहसनकीर्ति आदि सुभट थे । राम के सिंहनाद को सुनकर सेना में उत्साह की लहर आ गई। मार्गशीर्ष कृष्ण ५ को ,
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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