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________________ सस्या कृति नाम १३३ अभिनदन स्तवन १३४ सुमति जिन स्तवन ५३५ पद्मप्रभु स्त १३६ सुपार्श्व जिन स्त० १३७ चंद्रप्रभु स्त० १३८ सुविचिनाय स्त० ५३६ गीतल जिन स्त० २४० श्रेयांस जिन स्त० ५४३ वासुपुज्य स्न १४२ विमल जिन स्त० ५४३ अनंतनाथ स्त० १४४ धर्मनाथ स्त० १४५ गाति जिन स्त० १४६ कुथु नाय स्तर २४७ अरनाथ स्त० ५४८ मल्लिनाथ स्त० १४६ मुनिसुव्रत स्त० १५० नमि जिन स्त० २५१ नेमिनाथ स्त० १५२ पार्श्वनाथ स्त २५३ वीर जिन स्त० [८] गाथा आदि पद पृष्ठांक ५ धन धन दिनकर उग्यो उछाह ५५१ ३ माई मेरी मुमतिकी सेवा साची १५२ ३ हृदय पदमप्रभु राचि रह्योरी ३५२ ३ सही, न तजू पार्श्व सुपास को ५५३ ३ चद्रप्रभु नी कीजिड चाकरी रे १५३ ३ कबहुं मै सुविवि को ध्यान १५४ ३ मुखदाई गीतल स्वामी रे १५४ ४ केवल वाला रे केवल वाला १५४ ३ वाह वाह वासुपूज्यनी वाणी ६५५ ३ विमलजिन विमल तुम्हारा जान ६५६ ३ अनंतनाथ रा गुण अगम अनंता १५६ ३ घर मन घरम को ध्यान सदाई १५७ ५ श्री शांति जिनेसर सोलमो जी १५७ ३ शुभ आतम हित साचि रे १५८ ३ कहे अरनाय इम अरति रति० १५८ ४ मल्लि जिनेसर तु महामल्ल १५६ ३ सवमै अचिकी रे याकी जैतश्री १५६ ३ नित नित नमि जिन चरण नमू १३० ३ करणी नेमि की १६० ३ मेरे मन मानी साहिब सेवा १६१ ३ प्रभु तेरे वयण सुपियारे ११
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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