SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३५ ) सब गुण ज्ञान विशेष विराज, कविगण उपरि घन ज्यू गाज। धर्मसिंह धरणीतल माहि, पंडित योग्य प्रणती दल ताहि ॥ __ बीकानेर के तत्कालीन मत्री नाजर आणदराम जो कि स्वयं अच्छे कवि और विद्वान थे, आपके प्रति बड़ी श्रद्धा रखते थे। कविवर ने उनकी प्रशंसा में एक सवैया भी रचा है और उनकी दी हुई कि समस्या की पूर्ति भी की है। बह सवैया और समस्यापूर्ति भी इसी ग्रन्थ मे आगे छपी है। नाजर आणंदराम रचित 'भगवन् गीता भापा', गीता महात्म्य' 'अज्ञानबोधिनी भापा-टीका' आदि ग्रन्थ उपलब्ध है। स्वर्गवास :___सम्बत् १७७६ मे जिनसुखसुरिजी का स्वर्गवास और जितभक्तिसूरिजी की पदस्थापना रिणी मे हुई उस समय तो महोपाध्याय धर्मवर्द्धनजी वहीं थे। उसके बाद सम्भवत. बीकानेर पधारे और सम्वत् १७८३-८४ मे आपका स्वर्गवास बीकानेर मे हुआ। बीकानेर के रेलदाहाजी (गुरू-मन्दिर) में एक छतड़ी बनी हुई है, जिसके अनुमार सं० १७८४ के वैशाख वदि १३ महोपाध्याय धर्मवर्द्धन (धर्मसीजी ) की इस छत्री का निर्माण उनके प्रशिष्य शातिसोम ने करवाया था। छतड़ी के स्तम्भो पर निनोक्त दो लेख उत्कीणित है। - [१] १७८४ वर्षे वैशाख बदि १३ दिने महोपाध्याय श्री चरमसीजी री छतड़ी प०शातिसोमेन कारापिता छत्री छ'थभी
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy