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________________ शास्त्रीय विचार स्तवन सग्रह च्यार सै धनुप सरीर मान धार्यो जिणधीर, साठ पूर्व लख वर्ष आयु पाल्यो वड़ वीर । ७ ॥ संभव थी दस कोड लाख सागर परमाणे, चोथो अभिनदन जिणद महिमा जग जाणे। ऊंच पणे जसु देह धनुप तीनसे पंचास; आयु पचास पूर्व लख वर्ष पाल्यो सुखवास । ८ । हिव नव कोडिय लाख जलधि पूरा जव बीता, पचम जिणवर सुमतिनाथ हुचा सुमति वदीता। तीनसै धनुप सरीर तास शुभ वर्ण सुवास, चालीस पूरव लाख वर्ष आऊखो जास । । । सागर नेऊ कोडि सहस हिव वीता जाम, पद्मप्रभु छठो जिणेसरु ए हुओ गुण धाम । ' अढाईसे धनुष मान काया अभिराम, तीस पूर्व लख आयु पालि पहुता सिवठाम । १०। . ढाल -बेकर जोडी ताम, रहनी हिव नव सहस कोडे सागर हुआ सही, श्री सुपास जिणेसर सातमो ए। दुइ सैं धनुपा देह वीस पूरव लख, . आयुथिति, नितही नमो ए । ११ । हुआ सागर हेव नवसों कोडीय, दौढसे धनुप देही धरु ए। इस पूर्व लख आयु आठम जिनवर, श्रीचन्द्रप्रभु सुखकरु ए।१२।
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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