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________________ शास्त्रीय विचार स्तवन सग्रह २५७ उत्तराध्ययन दोइ सहस सुविचार ए, मूल सूत्रसहु सवाआठ . हजारए ।। १५ ॥ ___ सूत्र नंदी सरस जाणिय सातस, अनुयोगद्वार उगणीससौ , मन वस। ___ एतलै ए थया सूत्र गुणत्रीसए, जे वचै नित्य व्याख्यान सुजगीसए ॥ १६ ॥ ढाल-तदुल राशि विमलगिरि थापी छ छेदे महानिसीथ निशीथ, पाच सहस गिणिजे इवीथ । । वृहत्कलप वीजौ वाखाण, च्यारसै चिहुतर संख्या जाण ॥२४ा, व्यवहार सूत्र छ सै सुविचार, दशाश्रुत स्कंध शत अट्ठार । पचकल्प ते पचम छेद, सवा इग्यारसै सख्या वेद ॥१८॥ छठौ जीतकल्प इण नाम, इकसौ पाच छ कह्या आम। . दसे पइन्ना हिव'इम दाख, सूत्ररुची ते हीये राखै ॥१६॥ ' चउसट्रिगाह तणो चौसरणौ, धरमी जन ने मनमे धरणौ । वीजौ आउर पंचक्खाण, चउरासी गाथा परिमाण ॥२०॥ - - तीजी महा पचखाण कहीस, गाथा इकसौ नइ चौबीस । चोथौ भत्त परिण्णा चाह', इकसौं नै इकहोत्तर गाह ॥२१॥ पंचम पयन्नो तंदुलवेयाली, च्यारस गाह भली तिहा भाली। छट्टो चन्दाविजा गाह, इकसौने छिहुतरि अवगाह ।।२२।। गणविजा ए सत्तम गणिय, भाव भलै सौ गाथा भणियें । मरणसमाहि अठ्ठम पयन्न, गाहा जिहा छस्से छप्पन्न ॥२३॥
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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