SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 295
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली - - श्री महावीर जन्म गीत सफल थाल वागा थिया धवल मगल सयल तुरत त्रिभुवन हुआ हरष त्यारा। धनद कोठार भडार भरिया धने, जनमियो देव बधमान ज्यारा ।। वार तिण मेरगिरि सिहर न्ववरावियो, भला सुर असुरपति हुआ मेला। सुद्रव वरपा हुई लोक हरष्या सहु, बाह जिनवीर री जनम वेला ।२।। मिहर जगि ऊगतें पूगते मनोरथ, जुगति जाचक लहै दान जाचा । . मंडिया महोछव सिधारथ मौहले, सुपन त्रिसला सुतण किया साचा ।३। करण उपगार ससार तारण कलू ___ आप अवतार जगदीस आयो । धनो धन जैन धर्म सीम धारण धणी, जगतगुर भले महावीर जायो। ४ । सतरह भेदो पूजा स्तवन भाव भले भगवंत री, पूजा सतर प्रकार। परसिद्ध कीधी द्रोपदी, अंग छठे अधिकार । १ । करि पीछी मुखकोश करि, विमल कलश भरि नीर । पूजा न्हावण करौ प्रथम, सहु सुख करण सरीर ॥२॥
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy