SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऐतिहासिक व्यक्ति वर्णन बीकानेर नरेश अनूपसिह सवैया केई तो विकट वाट लंघत अलघ घाट, बीते है मुहीम में वरस बीस त्रीस जू । केइ उमराउ राउ चाकरी चपल कीन, ___ भी. बरसाति गति दौर निस दीस जू । तेऊ सिरपा कु उपा करे कोरि भाति, तो भी ताक नानति है दिल मे दिलीस जू । धन्य महाराज श्रीअनूपसिह तेरौ तेज, बैठे ही कंपातिसाह भेजे बगसीस ज ।। १ ।। सस्कृत भुज्यत इष्ट जनैः सह मृष्ट मऽवे हि तदेव हि भोजन मिष्टं ॥ स्मर्यत एव परोक्षतया किल वयंम ऽजयं मथेह विशिष्टं । ज्ञान गुणत्व मिदं भुवि वर्णय यत्र हि कर्म वचश्च न दुष्ट ॥ छद्म विना द्रियते रूचिरं शुभ धर्म विधान महोउपदिष्टं कवित-( स० १७२६ मध्ये मात्र मासे कह यौ ) बीकपुर तखत महाराज मोट वखत, बजे सुजसा तणा जास बाजा।
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy