SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 391
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * चौवीस तीथकर पुराण * २२१ संसारकी क्षणभंगुरताका विचार करता हुआ विषय लालसाओंसे एक दम सहम गया। उसने उसी समय अपने सुदृष्टि नामक पुत्र के लिये राज्य देकर किन्हीं सुमन्दर नामक ऋषिराजके पास दीक्षा धारण करली । वहां उसने ग्यारह अझोंका अध्ययन किया और दर्शन विशुद्धि आदि सोलह कारण भावनाओंका चिन्तवन कर तीर्थंकर नामक पुण्य प्रकृतिका वन्ध किया । जव आयुका अन्तिम समय आया तब वह सन्यास पूर्वक शरीर छोड़ जयन्त नामके अनुत्तर विमान में अहमिद हुआ। वहां उसकी आयु तेतीस सागर की थी, शरीर एक हाथ ऊंचा था, लेश्या परम शुक्ल थी। तेतीस हजार वर्ष बाद आहार लेनेकी इच्छा होती थी और तेतीस पक्ष बाद श्वासोच्छास क्रिया होती थी। उसे जन्मसे ही अवधि ज्ञान था। जिसके चलसे वह नीचे सातवें नरक तककी बात जान लेता था। यही अहमिन्द्र आगेके भवमें भगवान नेमिनाथ होकर जगतका. कल्याण करेगा । कहां ? सो सुनिये [२] वर्तमान परिचय जम्बू द्वीप भरत क्षेत्रके कुशार्थ देशमें एक शौर्यपुर नामका नगर है उसमें किसी समय शूरसेन नामका राजा राज्य करता था। यह राजा हरिवंशरूपी आकाशमें सूर्यके समान चमकता था। कुछ समय बाद शूरसेनके शूरवीर नाम का पुत्र हुआ। जो सचमुचमें शूरवीर था। उसने समस्त शत्रु जीत लिये थे उस वीरकी स्त्रीका नाम धारिणी था। उससे उसके अन्धक वृष्णि और नर वृष्णि नामके दो पुत्र हुए। अन्धक वृष्णिकी रानीका नाम सुभद्रा था । उसके काल-क्रमसे १ समुद्र विजय, २ स्तिमित सागर, ३ हिमवान, ४ विजय, ५ विद्वान, ६ अचल, ७ धारण, ८ पूरण : पूरिता च्छ, अभिनन्दन और १० वासुदेव......ये दश पुत्र तथा कुन्ती और माद्री नामकी दो कन्याएं हुई। समुद्र विजय आदि शुरूके नौ भाइयोंके क्रमसे शिव देवी, धृतीश्वरा, स्वयंप्रभा, सुनीता, सीता, प्रियवाक, प्रभावती, कालिंगी और सुप्रभा ये सुन्दरी स्त्रियां थीं। वसुदेवने अनेक देशोंमें बिहार किया था इसलिये उन्हें अनेक भूमि गोचरी तथा विद्याधर राजाओंने अपनी अपनी कन्याएं भेंट की थीं-उसके वहुत स्त्रियां थीं। उन सबमें देवकी मुख्य था।
SR No.010703
Book TitleChobisi Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherDulichand Parivar
Publication Year1995
Total Pages435
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy