SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * चौबीस तीर्थकर पुराण * - - कि समस्त माहात्म्यको प्रकट नहीं कर रहा है तय भी सुधा सागरके स्पर्शके समान कल्याणके लिये ही है। (१) पूर्वभव वर्णन धातकी खण्ड द्वीपमें पूर्व मेमकी ओर उत्तर दिशामें एक आरिष्ट नामका नगर है जो अपनी शोभासे पृथिवीका स्वर्ग कहलाता है। उसमें किसी समय पद्मरथ राजा राज्य करता था। उसकी प्रजा हमेशा उससे सन्तुष्ट रहती थी वह भी प्रजाकी भलाईके लिये कोई पात उठा नहीं रखता था। एक दिन वह स्वयंप्रभ तीर्थकरकी बन्दनाके लिये गया। वहांपर उसने भक्ति पूर्वक स्तुति की और समीचीन धर्मका व्याख्यान सुना । व्याख्यान सुननेके बाद वह सोचने लगा कि सय इन्द्रियोंके विषय क्षण भङ्ग,र हैं। धन पैरकी धूलिके समान है, यौवन पहाड़ी नदोके वेगके समान है, आयु जलके चबूलोंकी तरह चपल है और भोग सर्पके भोग-फणके ममान भयोत्पादक है । मैं व्यर्थ ही राज्य कार्य में उलझा हुआ हूँ, ऐसा विचार कर उसने धनमित्र पुत्र के लिये राज्य देकर किन्हीं आचार्य वर्यके पास दिगम्वर दीक्षा ले ली। उन्हींके पास रहकर उसने ग्यारह अङ्गोंका अध्ययन किया और दर्शन विशुद्धि आदि सोलह भावनाओंका चिन्तवन कर तीर्थंकर प्रकृतिका बन्ध किया। वह आयुके अन्तमें सन्यास पूर्वक मरकर सोलहवें अच्युत स्वर्गके पुष्पोत्तर विमानमें देव हुआ। वहांपरे उसकी आयु पाईस सागरकी थी, साढ़े तीन हाथ ऊंचा शरीर था और शुक्ल लेश्या थी। वह ग्यारह माह बाद श्वासोच्छास लेता और बाईस हजार वर्ष बाद मानसिक आहार ग्रहण करता था। उसके अनेक देवियां थीं जो अपने दिव्य रूपसे उसे हमेशा सन्तुष्ट किया करती थीं। वहांपर कायिक प्रवीचार मैथुन नहीं था। किन्तु मनमें देवांगनाओंकी अभिलाषा मात्रसे उसकी कामव्यथा शान्त हो जाती थी। वह अपने सहजात अवधि ज्ञानसे सातवें नरक तकके रूपी पदार्थोको जानता था और अणिमा, महिमा आदि ऋद्धियोंका स्वामी था। यही देव आगे भवमें भगवान अनन्तनाथ होगा। जम्बू द्वीपके दक्षिण भरतक्षेत्रमें अयोध्या नगरी है। उसमें किसी समय -
SR No.010703
Book TitleChobisi Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherDulichand Parivar
Publication Year1995
Total Pages435
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy