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________________ * चौबीस तीर्थक्कर पुराण * । - नाथके मुखसे स्वप्नोंका फल सुनकर रानी जयरामा हर्षसे फूली न समातीथी। ___ जय धीरे-धीरे गर्भका समय पूरा हो गया तब उसने मार्गशीर्ष शुक्ला प्रतिपदाके दिन उत्तम पुत्र उत्पन्न किया। उसी समय इन्द्रादि देवोने आकर मेरु पर्वतपर क्षीर सागरके जलसे उस गद्य-प्रसूत बालकका जन्माभिषेक किया और पुष्पदन्त नाम रखा । उधर महाराज सुग्रीवने भी खुले दिलसे पुत्रोत्पत्तिका उत्सव मनाया। वालक पुष्पदन्त बाल इन्द्रकी तरह क्रम-क्रमसे बढ़ने लगे। ___भगवान् चन्द्रप्रभके मोक्ष जानेके बाद नब्बे करोड़ सागर बीत जानेपर भगवान पुष्पदन्त हुए थे। इनकी आयु भी इसी अन्तरालमें शामिल है। पुष्पदन्तकी आयु दो लाख पूर्वकी थी. शरीरकी ऊंचाई सौ धनुषकी थी और लेश्या कुन्दके फूलके समान शुक्ल थी। जब उनकी कुमार अवस्थाके पचास हजार पूर्व बीत गये थे तय उन्हें राज्य प्राप्त हुआ था। राज्यकी बागडोर ज्यों ही भगवान् पुष्पदन्तके हाथमें आई त्योंही उसकी अवस्था विलकुल बदल गई थी। उनका राज्य क्षेत्र प्रतिदिन बढ़ता जाता था। उनके मित्र राजाओंकी संख्या न थी, प्रजा हरएक प्रकारसे सुखी थी। भगवान पुष्पदन्तका जिन कुलीन कन्याओंके साथ विवाह हुआ था उनकी रूप राशि और गुणगरिमाको देखकर देव बालाएं भी लज्जित हो जाती थीं। राज्य करते हुए जब उनके पचास हजार पूर्व और अट्ठाईस पूर्वाङ्ग और भी व्यतीत हो गये तब किसी एक दिन उल्कापात देखनेसे उनका हृदय विरक्त हो गया। वे सोचने लगेइस संसारमें कोई भी पदार्थ स्थिर नहीं है। सूर्योदयके समय जिस वस्तुको देखता हूँ उसे सूर्यास्तके समय नहीं पाता हूँ। जिस तरह इन्धनसे कभी अग्नि सन्तुष्ट नहीं होती उसी तरह पंचेन्द्रियोंके विषयोंसे मानव अभिलाषाएं कभी सन्तुष्ट नहीं होती-पूर्ण नहीं होती। खेद है कि मैंने अपनी विशाल आयु साधारण मनुष्योंकी तरह योंही विता दी। दुर्लभ मनुष्य पर्याय पाकर मैने उनका अभीतक सदुपयोग नहीं किया। आज मेरे अन्तरंग नेत्र खुल गये हैं जिससे मुझे कल्याणका मार्ग स्पष्ट दिख रहा है। वह यह है कि समस्त परिवार एवं राज्य कार्यसे वियुक्त हो निर्जन बनमें बैठकर आत्म ध्यान करूं। लौकान्तिक देवोंने भी आकर उनके विचारोंका समर्थन किया जिससे उनका
SR No.010703
Book TitleChobisi Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherDulichand Parivar
Publication Year1995
Total Pages435
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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