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________________ (४८). || पुन्य ॥ १३ ॥ भलार रसमिलै जीव. गमतार घणां श्रीकार हो लाल । ते पामैं शुभ नाम उदय थकी, जीव भोगवै विविध प्रकार हो लाल ॥पुन्य ॥ ॥ १४ ॥ भलार स्पर्श मिलै जीवन, गमता २ घणां श्रीकार हो लाल । ते पामें शुभ नाम उदय थकी जीव भोगवै निविध प्रकार हो लाल ॥पुन्य॥१॥ त्रसरो दसको छै पुन्योदय, शुभनाम उदयसें जा: ण हो लाल । त्यानै जुदा २ करि बर्णमूं, कीज्यो निर्णय चतुर सुजाण हो लाल ॥ पुन्य ॥ १६ ॥ त्रस नाम शुभ कर्म उदय थकी, त्रस पणो पामें जीव सोय हो लाल । बादर शुभ नाम उदय हुयां, जीव चेतन बादर होय हो लाल || पुन्य ॥१७॥ प्रत्येक शुभ नाम उदय हयां, प्रत्येक शरीरी जीव थाय हो लाल । पर्याप्ता शुभ नाम कर्म थी, जीव पर्याप्तो हो जाय हो लाल ॥ पुन्य ॥ १८॥शुभथिर नाम कर्म उदय थकी, शरीर नां अव्यव दृड थाय हो लाल । शुभ नाम शरीर मस्तक लगै,. वय रूडा २ होयजाय हो.लाल ॥ पुन्य ॥ १६ ॥ सौभाग्य नाम शुभ कर्म थी, सर्व लोकमें वल्लभ होय होलाल । सुस्वर शुभ नाम कमसे, स्वर कंठ मीठो
SR No.010702
Book TitleNavsadbhava Padartha Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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