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________________ FIRStitutkitrkuttek.kottest kotukukkutttituteketrinkstettitutkekutakikatek kuttakiki tetat t tetatat thistattatratikattatst.tattatti बनारसीविलासः १८९ । कौन पुरुष कहिये कृपण, को ईश्वर जग माहिं । ये सब प्रश्न विचार मन, कही मधुप हरिपाहिँ ॥६॥ नारायण उत्तर कहै, सुन उद्धव मन लाय । द्वादश यम द्वादश नियम, कहूं तोहि समुझाय ||७|| दया सत्य थिरता क्षमा, अभय अचौर्य सुमौन । ___ लाज असंग्रह अस्तिमत, संग त्याग तियवौन ॥ ८॥ हरि पूजा संतोष गुरु, भक्ति होम उपकार । ___ जप तप तीरथ द्विविधि शुचि, श्रद्धा अतिथि अहार । ___सोरठा। कहे भेद चौवीस, मिन्न २ यम नियमके । रहे प्रश्न चौवीस, तिनके उत्तर अब सुनहु ॥ १० ॥ ॐ समता ज्ञान सुधारस पीजे । दम इन्द्रिनको निग्रह की ॥ * संकटसहन तितिक्षा वीरज । रसना मदन जीतवो धीरवाशा दान अमय जहँ दंड न दीजे । तप कामनानिरोध कहीजे ॥ अन्तरविजयसूरता सांची । सत्यब्रह्म दर्शन निरवाची ॥१२॥ | रतु अनक्षरी ध्वनि जहँ होई | करम अभाव शौचविध सोई। त्याग परम सन्यास विधाना । परम धरम धन इष्ट निधाना १३ ध्रुव धारणा यज्ञकी करनी । हित उपदेश दक्षिणा वरनी ॥ प्राणायाम वोधवल अक्षा । दया अशेष नन्तुकी रक्षा ॥१४॥ लाभ भावशुभगतिपरकाशा । विद्या सो जु अविद्यानाशा ॥ लाज कुकर्म गिलानि कहावै । लक्ष्मी नाम निराशा पावै १५
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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