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________________ १०६ कविवरवनारसीदासः। टाम arketitutikot.kuttek.tutkukkak.tutiknkitutatut.ketitutikkkkkkkkkuttakstatutek. ___ इस कथासे जाना जाता है कि, कविवरको मृत्यु किमी ऐसे । स्थानमें हुई है, जहां उनके परिचयी नहीं थे । क्योंकि अथवा जौनपुरमें उनकी बड़ी प्रतिष्ठा थी, वहां इस प्रकारकी घटना नहीं हो सक्ती थी। बनारसीदासनीकी रचना । | बनारसीविलास, नाटकसमयसार, नाममाला, और कथानक, ये चार अन्य कविवरकी रचनाके प्रसिद्ध हैं । बाबा । दुलीचन्दजी संगृहीत ग्रन्थोंकी सूची ( जैनशास्त्र नाममाला ) में वनारसीपद्धति ग्रन्थ भी आपका बनाया हुआ लिखा है । अभी तक हम अर्धकथानक और बनारसीद्धति दोनोंको एक समझते हैं, परन्तु दुलीचन्दजीके लेखसे दो पृथक् ग्रन्थ प्रतीत होते हैं। क्योंकि उन्होंने वनारसीपद्धतिको जयपुरके भंडारमें मौजूद बतलाया है । अतः हो सका है कि, यह कोई दूसरा ग्रन्थ हो, अथवा और पांचवा अन्य वह है, जो यमुनानदीके विशालगर्भ में । सदाके लिये विलीन हो गया है । और जिसके लिये कती महाशॐ यक रसिक मित्र दुःखी हुए थे। पाठको । स्मरण है, वह शङ्कारः रखका प्रन्थ था। २ बनारसीपद्धतिकी लोकसंख्या वाया दुलीचन्दजीने ५०० लिखी में है, और अर्धकथानककी लोकसंख्या उससे दुगुनीके अनुमान है ।। अर्धकथानक ६७. दोहा चौपाई हैं । अतः संदेह होता है कि, यह कोई दूसरा अन्य होगा, यदि चापाजीका लिखना सत्य हो तो । इसके अतिरिक्त बावाजीने बनारसीपद्धतिको भाषा छन्दोबद्ध विलासोंके कोष्टकमें भी लिखा है। जिससे प्रतीत होता है कि, यह भी कोई चनारसीविलास सरीखा संग्रह है, जो किसी दूसरेने किया है, अथवा स्वयं कविवरका किया हुआ है। krt.itetitutet.tt.kkotatstatutatutattitut.ket-tit-titutatr
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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