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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir गोम्मटसारः। पृ. पं. विषय. विषय. - पृ. पं. १५-१६ भाव और अल्पबहुल... २००।२७ संज्ञी असंज्ञीकी परीक्षाके चिन्ह ... २४५।१२ लेश्यारहित जीव ... ... २०१।११ संज्ञी मार्गणामें जीवसंख्या ... ... २४६। १ भव्यमार्गणा अ-१६ आहारमार्गणा अ-१९ भव्यअभव्यका स्वरूप ... ... २०१।२४ आहारका स्वरूप २४६।१० ... २०२१२४ आहारक अनाहारकका विभेद ... २४६।२५ भव्यख अभव्यत्वसे रहित जीव भव्यमार्गणामें जीवसंख्या ... ... २०३। ५ समुद्धातके भेद... २४७। ४ ... पांच परिवर्तन ... ... २०३११२ समुद्धातका स्वरूप ... २४७।१२ आहारक और अनाहारकका कालप्रमाण २४७।२६ सम्यक्त्वमार्गणा अ-१७ आहारमार्गणामें जीवसंख्या २४८। ५ सम्यक्त्वका खरूप ... ... २०८।१३ उपयोगाधिकार-२० सात अधिकारों के द्वारा छह द्रव्यका उपयोगका स्वरूप और दो भेद ... २४८।१४ निरूपण ... २०८।२७ दोनों उपयोगोंके उत्तर भेद ... २४८।२२ १ नाम २०९। ५ साकार उपयोगकी विशेषता २४९॥ १ २ उपलक्षण २०९।२२ अनाकार उपयोगाकी विशेषता २४९।१३ ३ स्थिति उपयोगाधिकारमें जीवसंख्या २४९।२७ ४क्षेत्र २१६। ३ अंतर्भावाधिकार १ ५ संख्या २१७१२५ गुणस्थान और मार्गणामें शेष प्ररूपणा६ स्थानस्वरूप २१८।२३ १२ ओंका अंतर्भाव ... २२३॥ ४ ... ७ फल २५०। ७ मार्गणाओंमें गुणस्थानादि ... २२४।२१ परमाणुके स्कन्धरूप परिणमनका कारण ... २५०।१७ पंचास्तिकाय गुणस्थानोंमें जीवसमासादि ... ... २५८।२० २२८।२६ ... ... नव पदार्थ ... २२९.१४ आलापाधिकार २ नमस्कार और आलापाधिकारके कहनेकी गुणस्थानक्रमसे जीवसंख्या ... २३०। ६ प्रतिज्ञा ... ... अजीवादि-तत्वोंका संक्षिप्त स्वरूप ... २६३११६ २३८। ७ गुणस्थान और मार्गणाओंके आलापोंकी क्षायिक सम्यक्स २३९। ७ चेदक सम्यक्त्व... संख्या ... ... ... २६३।२४ २४०।२६ गुणस्थानों में आलाप उपशम सम्यक्त्व २४१। ७ मार्गणाओंमें आलाप पांच लब्धि ... २४१२२ ... २६५। १ जीवसमासकी विशेषता सम्यक्त्व ग्रहणके योग्य जीव २४२।६ २६९।२७ बीस भेदोंकी योजना ... २७०।११ सम्यक्षमार्गणाके दूसरे भेद २४२।२७ सम्यक्त्वमार्गणामें जीवसंख्या २७०।२९ आवश्यक नियम २४४। १ गुणस्थानातीत सिद्धोंका स्वरूप २७२। १ ___ संज्ञी मार्गणा अ-१८ बीस भेदोंके जाननेका उपाय २७२१२१ संज्ञी असंज्ञीका स्वरूप ... ... २४५। १ अंतिम आशीर्वाद ... ... २७३।१८ For Private And Personal
SR No.010692
Book TitleGommatsara Jivakand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchandra Jain
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1916
Total Pages305
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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