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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । इसलिये इन्द्रियज्ञानसे रहित सयोगकेवलीके भी उपचारसे मन कहा है। भावार्थ-यद्यपि उनके मन मुख्यतया नहीं है तथापि उनके वचनप्रयोग होता है । और वह वचनप्रयोग अस्मदादिकके विना मनके होता नहीं इसलिये उनके भी उपचारसे मनकी कल्पना की जाती है। अस्मदादिक निरतिशय पुरुषों में होनेवाले खभावको देखकर सातिशय भगवान्में भी उसकी कल्पना करना अयुक्त है फिर भी उसकी कल्पना करनेका क्या हेतु है ? यह वताते हैं। अंगोवंगुदयादो दवमणहूं जिणिंदचंदम्हि । मणवग्गणखंधाणं आगमणादो दु मणजोगो ॥ २२८ ॥ आङ्गोपाङ्गोदयात् द्रव्यमनोर्थ जिनेन्द्रचन्द्रे । मनोवर्गणास्कन्धानामागमनात् तु मनोयोगः ॥ २२८ ॥ अर्थ-आङ्गोपाङ्गनामकर्मके उदयसे हृदयस्थानमें विकसित अष्टदल पद्मके आकार द्रव्यमन होता है । इस द्रव्यमनकी कारणभूत मनोवर्गणाओंका सयोगकेवली भगवान्के आगमन होता है। इस लिये उपचारसे मनोयोग कहा है। भावार्थ-यद्यपि कार्य नहीं हैं, तथापि उसके एक कारणका सद्भाव है अतः उसकी अपेक्षासे उपचारसे मनोयोगको भी कहा है। काययोगकी आदिमें औदारिक काययोगको निरूक्तिपूर्वक कहते हैं । पुरुमहदुदारुरालं एयद्यो संविजाण तम्हि भवं । औरालियं तमुच्चइ औरालियकायजोगो सो ॥ २२९॥ पुरुमहदुदारमुरालमेकार्थः संविजानीहि तस्मिन् भवम् । ___ औरालिकं तदुच्यते औरालिककाययोगः सः ॥ २२९ ॥ अर्थ-पुरु महत् उदार उराल ये शब्द एकार्थवाचक हैं । उदारमें जो होय उसको औदारिक कहते हैं। यहां पर भव अर्थमें ठण् प्रत्यय होता है । उदारमें होनेवाला जो काययोग उसको औदारिक काययोग कहते हैं। भावार्थ-मनुष्य और तिर्यञ्चोंका शरीर वैक्रियकादिक शरीरोंकी अपेक्षा स्थूल है इसलिये इसको उदार अथवा उराल कहते हैं. और इसके द्वारा होनेवाले योगको औदारिक काययोग कहते हैं। यह योगरूढसंज्ञा है। औदारिकमिश्रयोगको कहते हैं। ओरालिय उत्तत्थं विजाण मिस्सं तु अपरिपुण्णं तं । जो तेण संपजोगो ओरालियमिस्सजोगो सो ॥ २३०॥ औरालिकमुक्तार्थ विजानीहि मिश्रं तु अपरिपूर्ण तत् । यस्तेन संप्रयोगः औरालिकमिश्रयोगः सः ॥ २३० ॥ For Private And Personal
SR No.010692
Book TitleGommatsara Jivakand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchandra Jain
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1916
Total Pages305
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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