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________________ १७६ : वीरस्तुतिः। - * : । आ प्रमाणो उपरान्त,आ अध्यायमा २-१४-२१-२३-२४ मी गाथाओमा प्रभुनी स्तुति "ज्ञातपुत्र" शब्दथी करवामां आवी छे । आ रीते श्रीजिनागमना प्रमाणभूत ग्रन्थोमा 'नार्थपुत्त' अथवा 'नांतपुत्त' शब्दनो प्रयोग भगवान् महावी. रना वशवाची नाम तरीके अनेक स्थळे करवामां आव्यो छे, अने ए वधानो उल्लेख करवानी अहीं जरा पण जरूर नथी, हेमाचार्ये परिशिष्टपर्चमा जे 'ज्ञातनन्दन' भगवान् महावीरप्रभुने वदन करेल छ तेनोपण उल्लेख करीशू, तेमणे मंगलाचरणमा कयुं छे के --- . . . "जे कल्याण वृक्षना वाग छे, श्रुतिरूप गंगाना हिमालय छे, विश्वकमळने सूर्यरूप छे, ते भगवान् “ज्ञातनन्दन” महावीरने हु नमस्कार करूं छु ।” ' बौद्ध पिटकोमो भगवान् महावीरनो तेमना शिष्योनो तेमज तेमना सिद्धातोनो परिचय तेमना वंशवाची 'नाथपुत्त' अथवा 'नाटपुत्त' शब्दथी आपवामां आव्यो छे, तेमना श्रमण निग्रन्थो माटे 'नाथपुत्तीय' शब्दनो उपयोग करवामा आव्यो छ, आ नाम सिवाय भगवान् महावीर प्रभुनो जीवन परिचय आपता वीजा कोई शब्दनो प्रयोग करेलो जोवामां आवतो नथी, मात्र 'नाथपुत्त' नी साथे 'निग्गंठ' शब्दनो प्रयोग करेलो होय छे, पण ते शब्दतो तेनी साधु अवस्थानो सूचक छ । ते 'नाथपुत्त' शब्दनुं विशेषण छ । • आधी प्राचीन कालमा वंशवाचक नामथी परिचय आपवानी प्रथा होवानु स्पष्ट जणाय छे, महात्मा बुद्ध पण तेमना मूल नाम सिद्धार्थ करता तेमना गोत्र' सूचक नाम 'गौत्तम' अने वंश सूचक नाम 'शाक्यपुत्र'-थी अधिक प्रसिद्ध छ । ___भगवान् महावीर प्रभुनो 'ज्ञातृवश' हतो, अने ए 'ज्ञातृवश' थी तेमनु वंशसूचक नाम 'नायपुत्त' प्रसिद्ध छे, जे आपणे ऊपर जोई गया । परन्तु आगळ चालता तेनो केटलो विस्तार तेमज विनाश थयो, तेनो इतिहास जाणवामा आवतो नथी। ए इतिहासनी शोध अत्यन्त आवश्यक छ । ते इतिहास नी शोध माटे आपणी पासे बौद्ध साहित्य एक अनन्य साधन रूप छे1 भगवान् महावीर तेमज महात्मा बुद्ध ए बने समकालीन-धर्मक्रान्तिकारी थई गया, वळी तेओ वने एकज देशना नजिक नजिक आवेला प्रान्तमा रहेनारा राजवशी पुरुष हता, आवावतो विचारता महात्मा बुद्धने एक प्रान्तथी वीजा प्रान्तमा विहार करता भगवान् महावीरना वश सम्बन्धी लोकोनी साथे वार्तालाप करवानो प्रसग प्राप्त थयो होय ए तद्दन खाभाविक छे। .
SR No.010691
Book TitleVeerstuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshemchandra Shravak
PublisherMahavir Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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