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________________ १३४ ; .' । वीरस्तुतिः । , नियमसार-"कुलस्थान, योनिस्थान, जीवसमासस्थान, मार्गणा स्थान इत्यादि मेदोंको भलि भान्ति जान कर जीव रक्षा. करनेके भावको 'अहिंसा कहते है। जीवोंकी मृत्यु होती है या नहीं इस प्रकारके विचारमें लगे हुए परिणामके सुधारके विना पाप हिंसा रूप क्रियाका त्याग होना कठिन है, . अतः इस रक्षाके प्रयत्नमें लगना ‘अहिंसा' है।" , , समन्तभद्राचार्य कहते हैं कि-"जगत् में इसे सब जानते है किअहिंसा परब्रह्म स्वरूप है, अर्थात् आत्माकी वीतरागता ही अहिंसा है, जहा वीतरागता है, वहीं आत्मा का शुद्ध स्वरूप है, जिस आश्रमके चरित्रमे अणुसात्र भी आरभ नहीं है वहीं यह पूर्ण अहिंसा प्राप्त होती है। आशय यह है कि आदर्श पुरुषोका सच्चरित्र रूप आचरण ही अहिंसा है, अत अहिंसाकी सिद्धिके लिए ही परम दयालु प्रभुने आरभ और परिग्रहको त्याग दिया। प्रभु विकार शील वेश और परिग्रहमें अनुरक्त नहीं थे। क्योंकि जहा परिग्रहकी आसक्ति नहीं है वहां ही ऊंचे दर्जेका अहिंसा धर्म है। 'जिनधर्म की जय' इसी लिए वोलते हैं कि इसमें पूर्ण 'अहिंसा का पालन किया जाता है। यही त्रस जीवका घात करनेवाले विचारोंको जड मूलसे हटानेका कारण है। तथा 'पंच काय' रूप इकेन्द्रिय स्थावर जीवोंके नाना प्रकारके होनेवाले वधसे वह विलकुल दूर है और वह सुन्दर सुखसे भरपूर समुंद्रके समान अगाध है।" - "मुनिओंका' कर्तव्य है कि वे सर्वथा अहिंसाका पालन करें, क्योंकि हिंसाका परिणाम दु.खजनक है, जिसे महापुरुषोंने महान् अनुभवसे बताया है। जिनके ये वचनामृत हैं।" “पैरसे लाचार है, शरीरकी चमडीको फोड कर कोड वाहर टपकने लगा है, हाथ कटे हुए हैं, और भी अनेक रोगोंसे ग्रस्त है। उसे देख कर समझ लेना चाहिए कि उन्हें यह दारुण दु.ख अन्य प्राणियोंकी हिंसा करनेसे भुगतना पड़ा है अतः चतुर -पुरुषका यह कर्तव्य है कि-निरपराधजीवकी संक्ल्पमात्रसे कमी "हिंसा' ने करे ।" , ____ "सुखदु खमें, अच्छे-बुरेम, युक्त अयुक्तमें, अपनी आत्मोकी तरह अन्ये आत्माओंको समझ कर कभी किसीका हिंसा रूप अनिष्ट नकरे .. ' 3 'लोकोंकी यह मन्तव्य है कि-"धर्मका सम्पूर्ण अग सुन कर तथा मनमें विवेक रख कर उसका निर्णय पूर्वक यह सार है कि जवे मुझे अपने
SR No.010691
Book TitleVeerstuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshemchandra Shravak
PublisherMahavir Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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