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________________ ४८ लुई नेपोलियनकी चालाकी चल गई और फ्रान्समें फिरसे बादशाही शुरू हो गई, उसने एक प्रकारसे यह निश्चयसा कर लिया कि इस समय यूरोपमें स्वाधीनता और सुधारका पैर आगे नहीं बढ़नेका । मिसेस टेलरसे विवाह सम्बन्ध । - सन् १८५१ में मिलके. जीवनक्रममें एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। जिस अनुपमगुणवती स्त्रीके परिचयसे उसने अपनी आशातीत उन्नति की थी उसीके साथ उसका विवाह हो गया। अभीतक और इतने वर्ष तक मिसेस टेलरके साथ उसका केवल मित्रताका नाता था । परन्तु अब वह नाता पहलेकी अपेक्षा और भी घनिष्ठ होगया । इसके पहले उन दोनोंने कभी स्वप्नमें भी न सोचा था कि हमारा परस्परका सम्बन्ध इतना प्रगाढ़ हो जायगा । यद्यपि मिलके लिए इस प्रकारका संयोग बहुत ही लाभकारी हुआ और यह उसे अभीष्ट भी था परन्तु जिस काकतालीय न्यायसे यह अचिन्तनीय योग आया वह यदि न आता तो उसे प्रसन्नता होती। इसके न आनेसे उसकी चाहे जितनी हानि होती वह उसे आनन्दसे स्वीकार करनेके लिए तैयार था। क्योंकि वह मिस्टर टेलरको अन्तःकरणपूर्वक चाहता था-उसपर उसका अतिशय स्नेह था और उसीकी आकस्मिक तथा आकालिक मृत्युसे यह योग आया था। मिसेस टेलरके विषयमें तो कहना ही क्या है ; उसकी तो अपने पतिके विषयमें यथेष्ट आस्था और प्रीति थी ही। अस्तु । मिस्टर टेलरकी मृत्यु जुलाई, सन् १८४९ में, हुई और उसके लगभग दो वर्ष पीछे, सन् १८५२ में यह विवाहसम्बन्ध हो गया । इस अभिनव सम्बन्धसे मिलको जो लाभ हुआ उसका वर्णन नहीं हो सकता ।
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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