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________________ ४५ भी कोई झूठा आक्षेप न कर बैठे, इस खयालसे वे अपने बाह्य आचरणमें बहुत सावधानी रखते थे। विचार-परिवर्तन । इस मेल जोलसे मिलके विचारों में और भी रद्दोबदल हुआ। अभी तक उसका खयाल था कि वर्तमानकालकी सामाजिक स्थितिका यद्यपि यह बड़ा भारी दोष है कि कुछ थोड़ेसे लोग जन्मसे ही श्रीमान् होते हैं और बाकी जन्मसे ही दरिद्री होते हैं; तथापि यदि कोई कहे कि यह स्थिति बिलकुल बदल सकती है तो उसका भ्रम है। ऐसा नहीं हो सकता। यह ठीक है कि दायभागके कुछ अन्यायपूर्ण नियमोंके रद हो जानेसे जैसे कि बड़ा लड़का सारी स्थावर सम्पत्तिका हकदार है आदि, यह दुःस्थिति कुछ कम दुःखकारक हो सकती है, परन्तु यह तो कभी नहीं हो सकता कि सोशियालिस्टोंके कथनानुसार सब प्रकारसे ' रामराज्य ' हो जाय । मिसेस टेलरकी सत्संगतिसे उसका यह विचार बहुत कुछ बदल गया और उसकी सोशियालिस्ट-सम्प्रदायकी ओर रुचि अधिकाधिक होने लगी। अब उसका यह सिद्धान्त हो गया कि यह स्थिति, जिसमें कुछ लोग तो मरते दम तक किसीतरह मर मिटकर भर पेट अन्न खानेको पाते हैं और कुछ आलसी बनकर बैठे बैठे ही मौज किया करते हैं, धीरेधीरे बदल सकती है। समाजसुधार होते होते एक दिन ऐसा आ सकता है जब इस अन्यायका देशनिकाला हो जायगा। अभी प्रत्येक मनुष्य यही समझता है कि मैंने जिस वस्तुको परिश्रम करके पाया है वह केवल मेरी ही मिलकियत है । परन्तु आगे यह समझ बदलेगी और लोग मानने लगेंगे कि प्रत्येक मनुष्यकी सम्पत्तिपर समाजका भी कुछ अधिकार है । इस समय मनुष्य-स्वभावपर जो केवल स्वार्थपरताका सामाज्य हो.
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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