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________________ ३२ है, उससे अधिक प्रजासत्ताक राज्यपद्धति होनी चाहिये । साधारण प्रजाके अधिकार बढ़ने चाहिये और बड़े आदामियोंके अन्यायोंको दमन करनेके लिये सोशियालिस्टोंके सम्पत्तिसम्बन्धी मतका प्रसार होना चाहिये। फ्रान्सकी राज्यक्रान्ति और मिलके लेख । सन् १८२९ के जुलाई महीनेमें फ्रान्सकी इतिहासप्रसिद्ध राजक्रान्ति हुई । उसका समाचार पाते ही मिलका उत्साह एकाएक जागृत हो उठा। वह उसी समय फ्रान्स गया और वहाँकी प्रजाके प्रधान नेता ला फायटीसे मिलकर तथा राज्यक्रान्ति-सम्बन्धी वास्तविक तथ्य संग्रह करके लौट आया । इंग्लैंडमें आते ही उसने इस विषयका समाचारपत्रों और मासिक पत्रोंमें जोरोशोरसे आन्दोलन करना शुरू किया। इतनेहीमें लार्ड ग्रे इंग्लैंडके प्रधान मंत्री हुए और पारलियामेंटके संस्कार तथा सुधारका बिल पेश किया गया। अब तो मिलकी लेखनी गजबके लेख लिखने लगी। उन्हें पढ़कर लोग दाँतों तले अंगुली दबाने लगे । सन् १८३१ के प्रारंभमें उसने 'वर्तमान कालकी महिमा ' नामक लेखमाला शुरू की और उसमें वह अपने नवीन विचारोंको प्रथित करने लगा। उसे पढ़कर प्रसिद्ध तत्त्ववेत्ता कालाईल चकित हो गया और वह स्वयं उससे आकर मिला। मिलका और कार्लाइलका सबसे पहला परिचय इसी समय हुआ और वह आगे बराबर बढ़ता गया। पिता और पुत्रका मतभेद । अब मिलको यह सन्देह हुआ कि मेरे और. पिताके विचारों में बहुत बड़ा अन्तर हो गया है । यदि वह शान्तिसे विचार करता तो यह अन्तर इतना बड़ा प्रतीत न होता । परन्तु उसे यह साहस नहीं
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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