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________________ उदारता और कृतज्ञता ४३ शुद्ध हृदय वाले व्यक्ति की बुद्धि सदा सन्मार्ग दिखाती है और अशुद्ध हृदय वाले की बुद्धि उन्मार्ग की ओर ले जाती है । उत्तम पुरुष के विचार सदा उत्तम रहेंगे, मध्यम के मध्यम और अधम के विचार अधम रहेंगे। भले और बुरे मनुष्य की पहिचान उसके आचार-विचार से ही होती है । इसलिए हमे सदा शुद्ध हृदय और उन्नत विचार रखने चाहिए । वास्तव में जीवन के ये दो गुण मनुष्य को महानता के शिखर पर पहुंचा देते हैं - हृदय में उदारता, हाथ और मनखुला रहे तथा कोई अपना उपकार करे उसके प्रति कृतज्ञ रहें । शुभ औदार्य कृतज्ञता, जीवन के दो रूप मानव जीवन का मधुर 'मिश्री' रूप अनूप | ८ वि० सं० २०२७ असोज सुदी जोधपुर
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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