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________________ सफलता का मूलमंत्र आस्था २८७ भगवान से इसका निर्णय करके इनाम दिया जावेगा । श्री कृष्ण रैवताचल पर सपरिवार गये और भगवान को वन्दन करके कहा-~~दीनवन्धो, आज आपको सबसे पहिले किसने बन्दन किया है ? भगवान ने पछा---कृष्ण, द्रव्यवन्दन की बात पूछ रहे हो, या भाववन्दन की। कृष्णजी ने कहा- भगवन्, जिसमे अधिक लाभ हो उसी के लिए पूछा है। तब भगवान ने कहा-आज द्रव्य से वन्दन तो कालक ने सर्व प्रथम किया है और भाव से वन्दन कु जमवर ने किया है । और उसी को अधिक लाभ मिला है। श्री कृष्ण ने आकर कु जभवर को अश्वरत्न इनाम मे दिया और कालक से कहा- तूने लोभ से वशीभूत होकर के वन्दन किया है, किन्तु कु जभवर ने विना किमी लोभ के नि स्वाथ भाव से वन्दन किया है। भाइयो, जहा भगवान के प्रति या धर्म के प्रति सच्ची निष्ठा या आस्था होतो है वहा पर स्वार्थ भावना नहीं होती है। ऐसे आस्थावान् व्यक्ति ही इस लोक मे भी सुख पाते हैं और परलोक में भी सुख पाते हैं। इसलिए आप लोगो को अपनी आस्था सुदृढ रखनी चाहिए। वि० स० २०२० कार्तिक शुक्ला ६ जोधपुर
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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