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________________ श्रीमद्विजयानंदसूरि कृत- स्तवन बव्वीशमं । ॥ राग ठुमरी ॥ में देखा चिदघन पारसको, मेरे काज सरे सब जी ॥ में० ॥ टेक ॥ नीलवरण तनु सुर नर मोहे, शांति वदन सुख साजजी ॥ ० ॥ १ ॥ अष्टादश डूषण गए डूरे, सारे जक्त सब काजजी ॥ में० ॥ २ ॥ चंद वदन जवि जन मन मोहे, तूं त्रिभुवन सिर ताजजी ॥ ० ॥ ३ ॥ जनम जनममें तुम पद सेवुं, एही आतमराजजी ॥ में० ॥ ४ ॥ 061 स्तवन सत्तावीशभुं । ॥ राग अंग्रेजी बाजेकी चाल ॥ आनंद तेरे दर्शका जिनराज मानुं हुं ॥ ० ॥ टेक ॥ तुही आनंद कंदका है तार जानुं हुं, वर देव देखीये विशेषीयेजी तुं ॥ ० ॥ १ ॥ मुळे करो मार तार मार जार तुं, तुंही जो आज जेटीयो चमेटीयोजी तुं ॥ ० ॥ २ ॥ यत्मायानंद चंद फेद फार तुं, मुफ एक रूप कीजीए दातार पास तुं ॥ या० ॥ ३ ॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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