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________________ २२६ श्रीयशोविजयोपाध्याय कृत-- कीजी, हलिलं तुज गुण संग । वाचक जश कहे राखजोजी, दिन दिन चढतो रंग ॥ ३ ॥ ___-mareerश्रीसंनवनाथ जिन स्तवन । सेनानंदन साहिबो साचोरे, परि परि परख्यो हीरोजाचोरे। प्रीति मुछिका तेहश्युं जोमीरे, जाणुं में लही कंचन कोमीरे ॥ १॥ जेणे चतुरशुं गोठी न बांधिरे, तिणे तो जाण्युं फोकट वाधीरे।सुगुण मेलावे जेह बाहोरे, मणुष जनमनो तेहज लाहोरे ॥२॥ सुगुण शिरोमणि संनवस्वामीरे, नेह निवाह धुरंधर पामीरे । वाचक जश कहे मुज दिन वलियोरे, मनह मनोरथ सघलो फलीयोरे ॥३॥ श्रीअनिनन्दन जिन स्तवन । (गोडी गाजरे, ए देशी) . शेठ सेवोरे अनिनन्दन देव, जेहनी सारेरे सुर किंनर सेव । एहवो साहिब सेवे तेह हजूर, जेहनां प्रगटेरे कीधां पुन्य पंगूर ॥ शे॥१॥ जेह सुगुण सनेही साहिब हेज, दृगलीलाथी लहीयें सुखसेज । तृण सरखं लागे सघले साच, ते आ
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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