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________________ चोविशी। १९५ मतिनुं जे मूल कापे, देव देवोरे ॥ सु० ॥ १॥ नव जंजीरना बंध दे नागी, देखतां खवारे । दरशन तेहy देखवा मुहने, लागी टेवोरे ॥॥२॥ कोमि सुमंगलकारी सुमंगला, सुत एहवोरे। उदय प्रजु ए मुजरो माहरो, मानी लेवोरे ॥ सु०॥३॥ श्रीपद्मप्रन्नु जिन गीत। लाल जासूना फूलसो वारु, वान देहनारे । नुवन मोहन पद्म प्रनु, नाम जेहनारे ॥ला ॥१॥ वोध बीज वधारवा जेम, गुण मेहनोरे। मन वचन काया करी हुं, दास तेहनोरे । ला॥२॥ चंद चकोर परे तुजने चाहुँ, बांध्यो नेहनारे। उदय कहे प्रनु तुं विण नहीं, आधीन केहनोरेला॥३॥ श्रीसुपार्श्व जिन गीत । - सुपासजी ताहरूं मुखj जोतां, रंग नीनोरे। जाणे पंकजनी पांखमी उपर, चमर लीनोरे॥सुं॥१॥ हेत धरी में ताहरे हाथे, दिल दीनोरे। मनमा मांहि आव तुंमोहन, मेहेली कीनोरे ॥सु०॥२॥ देव वीजो हुँ कोश् न देखुं, तुज समीनारे । उदय रत्न कहे मुज प्रनु ए, डे नगीनोरे ॥ सु० ॥३॥ १ अंटस।
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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