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________________ गुंहलीओ। गुरुजीनी वाणी उपरेरे । श्रोता जननी प्रीति अथाह ॥ ९ ॥५॥ गुणवती सहीयर सब टोले मलीरे । आवती गुरुजीने दरबार । चजगति चूरण साथियो पुरतारे । गावता गुंहली गीत रसाल ॥ हुँ। ॥ ६ ॥ गुरुजीना चरणकमलनी उपरेरे । नमरपरे मुनिगणनो वृंद ! लेता सद्गुण समी वासनारे। देता वीरविजयने आणंद॥हुं॥७॥ ॥ गुंहली बीजी॥ सुनोरे सखी एक वीनतीरे । आज आनंद अपार । चालो वंदन चलिये ॥ आंकणी ॥ गाम नगर पुर विचरंतारे।बह शिष्यने परिवार ॥चा॥ ॥१॥ अनुक्रमे आवी बिराजीयारे । राजनगरके मोकार ॥ चा ॥ आतमराम आनंद विजेजी । अनुपम नाम रसाल ॥ चा ॥२॥ पठन करावता शिष्यनेरे । झान ध्यान एकतान ॥ चा० ॥ झान क्रिया करी शोनतारे | ए गुरु गुण मणिमाल || चाण ॥३॥ मधुरी दिये गुरु देशनारे । जव जय जणहार ॥ चा ॥ सुणतां समकित उपजेरे । मिथ्या तिमिर विनाश ॥ चा० ॥ ४ ॥ २४
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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