SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०४ श्रीमद्विजयानंदसूरि कृत॥ अथ छादशमी बोधिलन नावना ॥ ॥ राग ठुमरी० ॥ अनंते कालसे बोधि उर्लन पानारी । सखी बोधि । आंचल।। अकाम निरजरा पुन्यसे प्रानी । थावरसें त्रस थानारी ॥ सखी० ॥१॥ बि त्रि चतु पंच इन्द्री सुहंकर । क्रम में तिरयग माना री ॥ सखी० ॥ २ ॥ नरजव आरज देश सुजाति । इन्द्रिय पटुतर गानारी ॥ सखी० ॥३॥ लंबी आयु कथक श्रवण गुन । श्रद्धा सुचितर गनारी ॥ सखी ॥४॥ तत्त्व निश्चय बोधि रतन सुहंकर । शिव सुख की खानारी ॥ सखी० ॥५॥ दुर्लज बोधि नावना नावें । तो तुं आतमराना री॥ सखी० ॥ ६॥ ॥ इति श्रीमद्विजयानंदसूरीश्वर कृत द्वादश भावना समाप्ता ॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy