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________________ रा मो मन तुम बिन कित हीन लागे । ज्युं नामनी वश कामी || आ || १ || पतत उधारण बिरुद तिहारो । करुणारस मय नामी ॥ य० ॥ २ ॥ अन्य देव बहु विधि कर सेवे । कय नहीं हुं पामी ॥ ० ॥ ३ ॥ चिंतामणि सुरतरु तुम सेवी । मिथ्या कुमतकुं वामी ॥ ० ॥ ५ ॥ जन्म जन्म तुम पद कज सेवा विसरामी ॥ ० ॥ ५ ॥ रंजा रमण सुरिंद पद । चाहुं मन चकि । वांतुं हुं नहीं निकामी ॥ आत्माराम आनंद रस पूरण । दे धामी ॥ ० ॥ ७ ॥ ० ॥ ६॥ दरसण सुख 9002.r स्तवन पंदरमुं । ॥ राग पंजाबी ठेकानी ठुमरी ॥ मैरी सैयां तुं नजर कर वर्धमान | तुं साचो वीर करुणानिधान । मैरी सैयां ॥ कणी ॥ तेरे हि चरण कमलको मधुकर । वीर वीर मुख रति नाम ॥ मैरी सैयां० ॥ १ ॥ तुम विरहो दुःखम पुन रो । मन बल दुर्बल तनु कताम ॥ मैरी सैयां ॥ २ ॥ उत्तराध्ययनमें तुम वच | राजे | तेही आलंबन चितमें गम ॥ मैरी
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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