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________________ स्तवनावली | † तेरे बिन कौन ाधम उद्धारण, वारण मिथ्या जाल हो ॥ तुं सुऊ० ॥ १ ॥ बचन सुधारस तुम जग प्रगटे, गटके जविजन लाल हो ॥ तुं मुक० || २ || आतम आनंदरस नर लीनो, अजर अमर अकाल हो ॥ तुं मु० ॥ ३ ॥ ७५ स्तवन बीजुं । चलो जाई चलके देखावे, आज प्रभु वीर दरस पावे || टेक !! कुंदनपुर महाराज विराजे, महिमा जस गावे ॥ चलो० ॥ १ ॥ त्रिशलानंदन सुरतरु जगमें, वांबित फल पावे || चलो० ॥ २ ॥ मन वच तनुसें नक्ति करत जो, अमरापुर जावे ॥ चलो० ॥ ३ ॥ जन्म कल्याणक प्रभुको प्रगढ्यो, यातम जम गावे ॥ चलो० ॥ ४ ॥ स्तवन त्रीजुं ॥ चलो नाई तुमको ले जावे, जिन्हां प्रभु वीर दरस पावे ॥ टेक ॥ पावापुर महावीर विराजे, सुर नर इन गावे || चला० ॥ १ ॥ पासून कनकी इस
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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