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________________ ६९३] सणतुकुमारचरि [६९० ] अह तहाविह गुरुहु पय- मूलि परिवायग-वउ गहिवि निय धम्मिण पत्त- जसु विहिहि निओइण अह नरवाहण - नरवरिण परियडंतु वसुहहं समग्ग | मज्झि वाल- तवसिहिं उदग्गहं || रयण उर- निव-भवणम्मि पहुत्तु । निसुणिवि तव वृत्तंतु ॥ [६९१] भणिउ - महरिसि मह मंदिर पारणउ जिणधम्मु तर्हि गयउ भणिउ - नराहिव पारणउं महियल - यह अहो -मुहह कुणसु तुहुं अज्जु तयणु तेण वालय- तवस्सिण | फुरिय-रोसिण हयासिण || [६९२] ठविवि पट्टिहिं कंस-पत्तीए उडुण्डु पायस असणु जिणधम्मु वि तम्भणिय पट्टि निविण्हुण्हयरभावइ भव- उच्चग्ग-मणु ६९१. २. क. भज्ज. ५. ददु. ६९३. ५. निसटूउ. द तुह घरि करिसु अवस्सु । वर्णियह जइ एयस्सु ॥ उण्हुहु पायस - असणु गोसम्म वि आयरिण अह नरनाहिण विहि-सिण भणिवि अणिच्छंतु वि कह-वि [६९३] तयणु अमहिय - नामु सु हयासु देसि जमिह मई अज्जु एरिसु । हिउ नियम चिट्ठे असरिसु ॥ निव्वंधिण जिणधम्मु । काराविउ तं कम्मु ॥ सणिउ सणिउ भुंजइ पहट्ठउ । विहिण सुद्ध - महियलि निसिउ || कंस-पति-दाहत्तु । विमल- विवेय-पवित्तु ॥ ६३
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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