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________________ ६२ नेमिनाहचरिउ [६८६ ] अह ठिs-क्खड़ सुकय-कय-रक्खु चविवि पवर वासर मुहुत्तिण । सो तस्सु सुरालयह सिरि- विक्कमजस-तियसु नयरि रयण- पुरि सुष्पवित्तिण ॥ सिविण-सइण उवसूइयउ कसु वि महिभह पुत्तु । जाउ कय- सुहि सयण-सुहु बहु-लक्खण-संजु || [६८७] तयणु जणइण सिविण-अणुख्कु जिणधम्मु इय नंदणह कम- जोगिण वालगु वि गुरुहु पसाइण पत्तु लहु तह संपाविय - जस- पसरु दिष्णु नामु गरुयरिण रिद्धिण । सहिउ सरय-ससि-मुद्ध-बुद्धिण ॥ सयल-कलोयहि- पारि । जिण सासणह वियारि ॥ [६८८ ] काल- जोगिण संपन्न तप्पियरि तमंदिर पहु विहिउ तय तेण उवलद्ध जच्चिय ॥ गुरु-गुण-धम्म-समज्जिणिय महियल - पयड - पयास । निस्वम-कित्ति पुरंधि निय- पह-पंडुरिय-दसास ॥ [ ६८६ कित्ति-सेसत्ति मिलिवि सयल-सज्जणिण सोच्चिय । [६८९] एत्थ अंतरि भमिवि संसारि ६८६. ५. क. सपवत्तिण; ७. क. कसु ६८८. ३. सो ज्जि य. सिरि-सीहउरम्मि पुरि नागदत्त जीवु वि स कम्मिण | उववन्तु तहा - विहह कसु विदियह गिहि पुत्त भाविण ॥ कोहण - पगड़ स-मच्छरउ अ-विहिय-स- कुलायारु । अगिसम्म- नामिण पयडु अणिय वेय-वियारु ॥ हि.
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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