SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५७३ ] सणतुकुमारचरिउ [५७०] ता किमित्त वि तुरउ जाहि त्ति चिंतेवि विमुक्कु सिरि- आससेण-कुल-गयण-चंदिण । अह दीहर-सास-भर भरिउ तर्हि जि सो ठिउ खणद्धिण ॥ नणु घिसि घिसि मई एहु तुरउ विवरिय-सिक्खु न नाउ । इय चिंतंतु कुमार-बरु पयडिय-गरुय-विसाउ ।। [५७१] जा स-हत्थिण सिढिल-पत्ताहु हय-रयणु करेइ लहु ता भमेवि महि-यलि तुरंगमु । बहु-सास-स्सम-हयउ पडि वि हुयउ जम-भवण-संगमु ॥ अह बहुयर-दुह-तविय-तणु आससेण-निव-जाउ । तण्हा-छुहहि किलंतु कह कहमवि फुरिय-विसाउ ॥ [५७२] पत्तु पत्तल-साह-सहसस्सु सत्तच्छय-पायवह तल-पएसि जा ता खणद्धिण । अनिरिक्खिय-पुव्य-रवि- ताव-दुक्खु देव्यह निओइण। तइयहं मुच्छ-विलंघलिउ निवडिउ निस्साहारु । अह तक्खणिण वि पेक्खिउण तारिसु सणतुकुमारु || . [५७३] भुवण-समहिय-रूव-विहवेण पसरंत-जोव्वण-भरिण विहिय-चारु-सिंगार-अंगिण । । उचिय-प्रणु-चूडामणिण अमय-महुर-मिउ-वयण-चंगिण ॥ अज्जउत्त-पुण्णोवचय- आयइढिइण नरेण । केण वि माणस-सरवरह जल आणिवि स-करेण ॥
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy