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मिनाहचरिउ |
[५६६ ] भणइ – पसियह मज्झ तुम्भे वि तुरय- रयण-अवहार पमुहिण | कहिउ नियय-वृत्तंतु स-मुहिण ॥ तत्त-विसेस समिद्ध -
ता कुमरु अ-सत्तु तस्रु स-दइय विज्जा-चल-मुणियअणुजाण पत्थुय-विस विमलमइ त्ति पसिद्ध ॥ .
निय वइयर - पयडणिण
[५६७ ] गुरु-परिस्सम-सिण निदाए
घुम्मंति मह लोयणई इय जंपिविउट्टिउण मझगंतुकली हरह निसिय कुमरु स वइयरह
जह - निसुणसु कुमर तुहुं किल तइयहं तुम्हह पुरउ
वीसमिता इह विकु वि खणु । मो तत्थ सयलो वि परियणु ॥
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तयणु निम्मल-दसण - किरणोलिपरिधवलिय-सयल - दिसि चंद-वयण विमलमइ जंपड़ ।
पुव्व - विहिय-सयणम्मि । सर्वाणि निविद्धि मणम्मि ॥
नियय - मित्त-वत्तंतु संपई ॥ तिण तुरंग रयणेण ।
अज्ज उत्तु इहु अवहरिवि परिखेवियर खणेण ॥
परितुहिर - गिरि-सिहरि विलवंत पुलिंद-यणि फुट्टिर - चंस-सहस्सि हयजलिर-दवानलि जम-भवण
५६९. ८. दावातलि,
[५६९]
तसिय-मय-कुलि भीय-सहूलि
भमिर-तुरइ नासंत कुंजरि । गलिय-विव- निवडत - तरुवरि । कायर - जण चेयणि । सरिसइ गरुय- अरणि ||
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