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________________ ३२ मिनाहचरिउ | [५६६ ] भणइ – पसियह मज्झ तुम्भे वि तुरय- रयण-अवहार पमुहिण | कहिउ नियय-वृत्तंतु स-मुहिण ॥ तत्त-विसेस समिद्ध - ता कुमरु अ-सत्तु तस्रु स-दइय विज्जा-चल-मुणियअणुजाण पत्थुय-विस विमलमइ त्ति पसिद्ध ॥ . निय वइयर - पयडणिण [५६७ ] गुरु-परिस्सम-सिण निदाए घुम्मंति मह लोयणई इय जंपिविउट्टिउण मझगंतुकली हरह निसिय कुमरु स वइयरह जह - निसुणसु कुमर तुहुं किल तइयहं तुम्हह पुरउ वीसमिता इह विकु वि खणु । मो तत्थ सयलो वि परियणु ॥ [५६८ ] तयणु निम्मल-दसण - किरणोलिपरिधवलिय-सयल - दिसि चंद-वयण विमलमइ जंपड़ । पुव्व - विहिय-सयणम्मि । सर्वाणि निविद्धि मणम्मि ॥ नियय - मित्त-वत्तंतु संपई ॥ तिण तुरंग रयणेण । अज्ज उत्तु इहु अवहरिवि परिखेवियर खणेण ॥ परितुहिर - गिरि-सिहरि विलवंत पुलिंद-यणि फुट्टिर - चंस-सहस्सि हयजलिर-दवानलि जम-भवण ५६९. ८. दावातलि, [५६९] तसिय-मय-कुलि भीय-सहूलि भमिर-तुरइ नासंत कुंजरि । गलिय-विव- निवडत - तरुवरि । कायर - जण चेयणि । सरिसइ गरुय- अरणि || [ ५६६
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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